पाठ-4
एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!
-षिवप्रसाद मिश्र ‘रूद्र’
प्रश्न 1.: हमारी आजादी की लड़ाई में समाज के उपेक्षित माने जाने वाले वर्ग का योगदान भी कम नहीं रहा है। इस कहानी में ऐसे लोगों के योगदान को लेखक ने किस प्राकार उभारा है?
उत्तर: स्वतंत्रता की लड़ाई में सबने कुछ न कुछ योगदान दिया। टुन्नू और दुलारी दोनो ही निम्न वर्ग(उपेक्षित) की प्रतिनिधि थे और टुन्नू ने स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी लेकर जान गंवा दी। टुन्नू ने देश के प्रति अपना कत्र्तव्य निभाया और शहीद हो गया। वहीं दुलारी ने असहयोग आंदोलन में विदेशी वस्त्रो की होली जनाने में सहयोग देकर अपने कर्तव्य को निभाया और खादी के वस्त्र पहनकर अपने देश प्रेम को प्रदर्शित किया । ऐसे ही अनेक उदाहरण हमारे इतिहास में भरे पडे़ है, जिन्होने देश हित में उपेक्षित वर्ग के होते हुए भी अपना सहयोग दिया।
प्रश्न 2.: कठोर हृदयी समझी जाने वाली दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर क्यों विचलित हो उठी?
उत्तर: कठोर हृदयी समझी जाने वाली दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर इसलिए विचलित हो उठी क्योंकि वह दिल ही दिल में टुन्नू से प्रेम करती थी लेकिन समाजिक मर्यादाओ के कारण उसने कभी अपने प्रेम को दर्शाया नही। टुन्नू की बदली हुई सूरत और सीरत ने उसे प्रेम को स्वीकार करने के लिए मजबुर कर दिया। अंत में उसने उसकी मृत्यु पर उसके द्वारा दी गई साड़ी को निकालकर पहना।
प्रश्न 3.: कजली दंगल जैसी गतिविधियों का आयोजन क्यो हुआ करता होग? कुछ और परंपरागत लोक आयोजनो का उल्लेख कीजिए।
उत्तर: प्राचीन काल में मनोरंजन के विशेष साधन नहीं थे और बहुत कम साधनो द्वारा वे अपना मनोरंजन करते थे। इसलिए लोग गाँवों में कजली जैसी अनेक कार्यक्रमों को आयोजित करते थे जिसके द्वारा लोगों का मनोरंजन भी हो सके और लोगों का मेल मिलाप बढे। कजली में लोग शायरी अंदाज में गाना गाया करते थे। अनेक गावों से लोग इस खेल में शामिल हुआ करते थे। इसी तरह लोग मेले, हाट, कीर्तन का आयोजन किया करते थे।
प्रश्न 4.: दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक-संस्कृतिक दायरे से बाहर है फिर भी अति विशिष्ट है। इस कथन को ध्यान में रखते हुए दुलारी की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर: दुलारी का चरित्र-चित्रण –
1. भावुक हृदय – जब उसने टुन्नू की मृत्यु की खबर सुनी तब वह जिस प्रेम को छुपाती रही वह अश्रुधारा (आंसु) बनकर बह गया। टुन्नू द्वारा दी गई साड़ी को पहनकर उसने उसका प्रेम स्वीकार किया।
2. मर्यादा का पालन करने वाली – वह टुन्नू के प्रेम करती थी परंतु सामाजिक मर्यादा का पालन करते हुए वह सब छुपाती रही।
3. सच्ची प्रेमिका – वह टुन्नू से सच्चा प्रेम करती थी परंतु समाज की बंदिशों में वह उसका प्रेम स्वीकार नही कर पाती थी परंतु अंदर ही अंदर उससे बहुत प्रेम करती थी।
4. देश प्रेमी – उसका ‘ऐही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो गया’ गाना गाकर यह पता चलता है कि न केवल वह उसकी आत्मा को श्रद्धांजनि देती है, बल्कि असहयोग आंदोलन में (धोंतियों का जलाना) में भाग लेते हुए उसका देश प्रेम विकसित हुआ।
5. कठोर वक्ता – वह कठोर कही जाती है क्योंकि वह सच्च बहुत कड़वा बोलती है लेकिन इसके पीछे वह अपने हृदय की सरसता (सरस दिल, प्यार भरा दिल) छुपरना चाहती है।
प्रश्न 5.: दुलारी का टुन्नू को यह कहना कहाँ तक उचित था – ‘तै सरबउला बोल जिन्नगी में कब देखले लोट?…!’ दुलारी के इस आपेक्ष में आज के युवा वर्ग के लिए क्या संदेश छिपा है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: आज का युवा वर्ग भी अपनी योग्यता और शिक्षा के अनुसार कार्य न करके बड़े-बड़े समने देखता है, दूसरों की नकल करता है और अपने आपको महान समक्षता है। इस लोकगीत में यह संदेश दिया गया है कि दिखावा करने वाले को अंत में पछताना पड़ता है।
प्रश्न 6.: भारत के स्वाधीनता आंदोलन में दुलारी और टुन्नू ने अपना योगदान किस प्रकार दिया?
उत्तर: भारत के स्वाधीनता आंदोलन में दुलारी और टुन्नू ने अपना योगदान बखूबी दिया। टुन्नू ने इसहयोग आंदोलन में भाग लेकर अंग्रेजी वस्त्रो के खिालाफ खड़े होकर अपनी जान गंवा दी। इस तरह उसने अपने देश के प्रति कर्तव्य निभाया और शहीद हो गया। असहयोग आंदोलन में दुलारी भी भागीदार रही। उसने भी विदेशी वस्त्रों (फेकू सरदार द्वारा दी गई साडि़यो) को फेंक अपना कर्तव्य निभाया। इस प्रकार दोनों ने ही अपना देश प्रेम विकसित किया।
प्रश्न 7.: दुलारी और टुन्नू के प्रेम के पीछे उनका कलाकार मन और उनकी कला थी? यह प्रेम दुलारी को देश प्रेम तक कैसे पहुँचाता है?
उत्तर: दुलारी और टुन्नू का परिचय ही कलाकार होने के कारण हुआ था। कलाकार व्यक्ति ही दूसरे की कला का सम्मान करना, उसे समझना और समझाना जानता है। अतः दोनो का परिचय प्रमाद (घनिष्ट) होता गया। टुन्नू ने जहाँ दुलारी के उपेक्षा भाव से अपने आप को देश प्रेम की ओर मोड़ लिया, वही टुन्नू के शहीद हो जाने ने दुलारी को स्वतंत्रता का नया रास्ता दिखाया।
प्रश्न 8.: जलाए जाने वाले विदेशी वस्त्रो के ढ़ेर में अधिकांश वस्त्र फटे-पुराने थे परंतु दुलारी द्वारा विदेशी मिलों में बनी कोरी साडि़यों का फेंका जाना उसकी किस मानसिकता को दर्शाता है।
उत्तर: जलाए जाने वाले विदेशी वस्त्रों के ढ़ेर में अधिकांश वस्त्र फटे-पुराने थे परंतु दुलारी द्वारा विदेशी मिलों में बनी कोरी साडि़यों का फेंका जाना उसकी देश प्रेम की मानसिकता को विकसित करता है। इससे यह भी पता चलता है कि उसका साडि़यों के प्रति किसी प्रकार का मोह नहीं था। अंग्रजी सरकार का साथ देने वाले फेंकु सरदार के प्रति उसका उपेक्षा का भाव भी प्रदर्शित होता है।
प्रश्न 9.: ‘एही ठैयाँ झुलनी हेरानी होरामा!’ का प्रतीकार्थ समझाइए।
उत्तर: ‘एही ठैयाँ झुलनी हेरानी होरामा!’ यह एक लोकगीत की पंक्ति है जो प्रेम को प्रदर्शित करती है। इस पंक्ति का अर्थ है ‘यही वह स्थान है जहाँ मेरी नथ गुम गई थी (गिर गई थी)’। इसके माध्यम से दुलारी अपने प्रेम को स्वीकार करती है और इस गाने पर नृत्य करके टुन्नू को श्रद्धांजलि अर्पित करती है। वह नृत्य कर रही थी जहाँ टुन्नू की मृत्यु हुइ।
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ma’am pls feku sardar ke charitrik bishestao ya chritra ka chitran krke dijiye… plss ma’am i do have my boards tomorrow…