नेताजी का चश्मा

लेखक स्वयं प्रकाश जी की लिखी हुई यह  रचना देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत है.। यहां लेखक ने एक छोटी सी घटना लेकर यह दर्शाया है कि  देशभक्ति का कोई मापदंड नहीं होता ,यह दिल की भावना है जो छोटे-छोटे कार्यो से ही उजागर हो जाती है.। इस कहानी  का एक पात्र बहुत ही निर्बल, कमजोर और दिव्यांग है.। वह बैसाखी का सहारा लेकर चलता है, लेकिन देशभक्ति की भावना से भरा हुआ है.। वह चश्मे बेचता  है .एक स्थान पर सुभाष चंद्र बोस जी की मूर्ति देखकर वह उस मूर्ति पर चश्मा ना होने पर स्वयं अपने चश्मों  में से एक  चश्मा लगा देता है.। वह चश्मे बेचने वाला है यह घटना लेखक को बहुत ही प्रभावित करती हैं. वे उस चश्मे वाले के कृतज्ञ  हो जाते हैं.। उसका मजाक  बनाने वालों पर वे असंतुष्ट होते हैं और सोचते हैं कि   लोग देशभक्तों का मजाक क्यों बनाते हैं, जब कि  देशभक्तों का तो आभारी होना चाहिए.। लेखक चश्मे वाले के न रहने पर उस मूर्ति पर एक सरकंडे का चश्मा देख कर अभिभूत हो जाते हैं और उन्हें अपने आने वाली पीढ़ी पर गर्व होता है कि वे  देशभक्ति की भावना से भरे हुए हैं कहीं भी पिछड़े नहीं है.। यह बात उन्हें एक आशावादी दृष्टिकोण देती है.॰ कहानी सरल सुलभ सुंदर और भावपूर्ण है|

 

प्रश्न उत्तर

 प्रश्न-1 –  सेनानी ना होते हुए भी चश्मे वाले को लोग कैप्टन क्यों कहते हैं?

 उत्तर-  चश्मे वाले के प्रत्येक कार्य से देश प्रेम की भावना झलकती है.। वह आजाद हिंद फौज के सेनानायक सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति पर चश्मा लगाता है.। जिस से प्रभावित होकर लोग उसे कैप्टन कहते हैं, जबकि वह ना सुभाष चंद्र बोस जी  का साथी था और न आजाद हिंद फौज का सेनानी.। 

 

 प्रश्न2-  हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा

क –  हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?

ख – मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?

ग – हालदार साहब इतनी सी बात पर भावुक क्यों हो उठे?

 

क — हालदार साहब ने जब चौराहे पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति देखी तो वे वहां पर रुक गए लेकिन जब उनके चेहरे पर चश्मा न देखा तो उन्हें मायूसी हुई क्योंकि उस मूर्ति पर संगमरमर का नहीं एक वास्तविक फ्रेम वाला  चश्मा लगा था.।

 

ख –मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा यह उम्मीद जगाता है कि हमारे आने वाली पीढ़ी अपने कर्तव्यों के प्रति सतर्क हैं वह लापरवाह नहीं हैं उनमें भी देशभक्ति की भावना है तभी तो बच्चों ने मूर्ति को सरकंडे का चश्मा पहना दिया था।

 

ग — हालदार साहब भावुक हो गए यह देखकर उन्हें अपनी सोच पर दुख हुआ कि उन्होंने आने वाली पीढ़ी को देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत नहीं माना जब उन्होंने सरकंडे का चश्मा देखा तो उन्हें अपने विचार पर पश्चाताप हुआ और वे भावुक हो गए।

 

  प्रश्न3- आशय स्पष्ट करो

 बार-बार सोचते, क्या होगा उस काम का जो अपने देश की खातिर घर गृहस्ती जवानी जिंदगी सब कुछ होम देने वालों पर भी हंसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूंढती हैं

 

 उत्तर– लेखक को बार-बार चिंता होती है कि लोग देश भक्तों पर कैसे हंस सकते हैं ?हंसने वालों पर उन्हें असंतोष होता है कि यह दूसरों का मजाक तो बनाते हैं लेकिन खुद उनकी भावना से बहुत बहुत दूर होते हैं

 

प्रश्न4– पान वाले का एक रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए-

 

 उत्तर– महान वाला एक मोटा असभ्य और हंसमुख  आदमी है वह बेहद पान खाता है.। वहीं पर थूक थू क कर गंदगी फैलाता है और चश्मे वाले का मजाक उड़ाता है, हां वह भावुक भी है।

 

प्रश्न5- ” वह  लंगड़ा क्या जाएगा फौज में पागल है…. पागल”

         कैप्टन के प्रति पान वाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया  लिखिए 

 

उत्तर–  पान वाले का यह कहना कि वह लफड़ा किया जाएगा फौज में पागल है पागल यह दर्शाता है कि पान वाले के मन में उस चश्मे वाले के प्रति कोई भी प्रेम और संवेदना नहीं है यह अपमानजनक टिप्पणी लोगों का ऐसे लोगों के प्रति दूर भावना को दर्शाता है। समाज में दिव्यांगों के प्रति सहिष्णुता की भावना नहीं पाई जाती है उसका मजाक बनाते हैं और उनके जीवन में कोई सहयोग नहीं देते.।

 

रचना और अभिव्यक्ति

 प्रश्न6-  निम्नलिखित वाक्य पात्रों की कौन सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं-

क – हालदार  साहब हमेशा चौराहे पर रुकते और नेताजी को निहारते।

ख – पानवाला उदास हो गया उसने पीछे मुड़कर मुंह का पान नीचे थूका  और सिर झुका कर अपने धोती के सिरे से आंखें पोंछता हुआ बोला-” साहब कैप्टन मर गया।”

ग –  कैप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था

 

 उत्तर-

क – हालदार साहब के मन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रति अपार श्रद्धा और सम्मान था इसलिए वह चौराहे पर रुकते और नेता जी की मूर्ति को निहारते इस तरह उन्हें एक सुकून सा मिलता  उनकी देश प्रेम की भावना को भी दर्शाता है।

 

ख – पान वाला  भावुक  और संवेदनशील प्रकृति का था. कैप्टन की मृत्यु  का समाचार देते समय उसकी आंखों में आंसू आ गए वह कैप्टन की मृत्यु से दुखी था पानवाला सफाई के प्रति रुचि नहीं रखता वह पान खाकर वहीं पर थूक देता है स्वच्छता का ध्यान नहीं रखता।

 

ग –  कैप्टन  द्वारा मूर्ति पर बार-बार चश्मा लगाना यह प्रदर्शित करता है कि वह है नेताजी के प्रति बहुत श्रद्धा रखता है उसे नेता जी की मूर्ति बिना चश्मे के अधूरी सी लगती है इसलिए वह उस मूर्ति  को  नई-नई तरह के चश्मे पहना देता है। 

 

प्रश्न7–  जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात देखा नहीं था तब तक उनके मानस पटल पर उसका कौन सा चित्र रहा होगा अपनी कल्पना से लिखिए?

 उत्तर–  जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को नहीं देखा था तब तक उनके मन में विचार था कि या तो वह आजाद हिंद फौज का सेनानी होगा या वह नेताजी का साथी रहा होगा । वे उसे एक हृष्ट – पुष्ट और स्वस्थ व्यक्ति समझते थे। 

प्रश्न8–  कस्बों शहरों महानगरों के चौराहों पर किसी ने किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की  मूर्ति लगाने का प्रचलन सा हो गया है —

क — इस तरह की मूर्ति लगाने के क्या उद्देश्य हो सकते हैं?

 

ख – आप अपने इलाके के चौराहे पर किस व्यक्ति की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे और क्यों?

ग — उस मूर्ति के प्रति आपके एवं दूसरे लोगों के क्या उत्तरदायित्व होने चाहिए?

 

 उत्तर- क – किसी भी शहर या नगर के चौराहों पर किसी व्यक्ति की मूर्ति लगाने का मुख्य उद्देश्य होता है कि लोग उस व्यक्ति के गुणों और कार्यों को समझे और सराहें  तथा  उनके कार्यों का पालन करें।

 

ख — मैं अपने नगर के चौराहे पर रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति लगवाना चाहूंगी जिससे लोग उनकी देश प्रेम की भावना और कार्यों से प्रेरणा ले सकें।

 

ग —  हमारे शहर या नगर में जो भी मूर्ति लगी होती है उसका सभी लोगों को सम्मान करना चाहिए वहां की साफ सफाई का ध्यान रखना चाहिए समय-समय पर जैसे जन्मदिन या पुण्यतिथि पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए जिससे लोगों के मन में उस व्यक्ति के प्रति श्रद्धा और आदर का भाव रहे और वह सब के लिए प्रेरणा बन सके।

 

प्रश्न9–  सीमा पर तैनात फौजी ही देश प्रेम का परिचय नहीं देते हम सभी अपने दैनिक कार्यों में किसी न किसी रूप में देश प्रेम प्रकट करते हैं जैसे सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुंचाना, पर्यावरण संरक्षण आदि अपने जीवन जगत से जुड़े ऐसे और कार्यों का उल्लेख कीजिए और उन पर अमल भी कीजिए ?

 

उत्तर–  प्रत्येक देशवासी अपने कार्य को उचित तरीके से संपूर्ण मन से और मेहनत से कार्य करता है तो वह सच्चा देशभक्त है. जिस व्यक्ति का जो भी कार्य है उसे ठीक ढंग से करना ही देश भक्ति ह.. किसानों का कार्य खेती करना है तो उन्हें अपना कार्य करना चाहिए विद्यार्थियों का कार्य उचित रूप से पढ़ाई करना है तो उन्हें अपना कार्य करना चाहिए व्यापारियों को ईमानदारी और सच्चाई से व्यापार करना चाहिए यही सच्ची देशभक्ति है अर्थात अपना अपना कार्य करना देश की संपत्ति की सुरक्षा करना गंदगी ना फैलाना वृक्षों नदियों पहाड़ों जंगलों आदि का ध्यान रखना और स्वच्छ रखना भी देशभक्ति है ।

 

 प्रश्न10–  निम्नलिखित पंक्तियों में स्थानीय बोली का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है आप इन पंक्तियों को मानक हिंदी में लिखिए-

” कोई गिराक आ गया समझो उसको चौड़े चौखट चाहिए तो कैप्टन किदर से लाएगा तो उसको मूर्ति वाला दे दिया उदर दूसरा बिठा दिया”

 

 उत्तर– गांव के अशिक्षित लोग वहां के भाषा के शब्दों का प्रयोग करते हैं जिससे वे हिंदी भाषा के मानक रूप से पिछड़ जाते हैं

 मानक रूप–” कोई ग्राहक आ गया  और उसे चौड़े प्रेम का चश्मा चाहिए  तो वह मूर्ति का चश्मा उतारकर उसे दे देता और मूर्ति को दूसरा चश्मा पहना देता” 

 

प्रश्न11–  ” भाई खूब क्या आईडिया है” इस वाक्य को ध्यान में रखते हुए बताइए कि एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्दों के आने से क्या लाभ होते हैं?

 

 उत्तर–  एक भाषा के शब्द दूसरी भाषा में प्रयोग करने से वह भाषा समझने योग्य हो जाती है अर्थात प्रचलित शब्दों के कारण भाषा सरल और सुगम्य हो जाती हैजैसे यहां पर आइडिया शब्द का प्रयोग बहुत ही सार्थक और सरल प्रतीत हो रहा है।

भाषा अध्ययन–

 प्रश्न12–  निम्नलिखित वाक्यों से निपात  छांटिए  और उनसे नए वाक्य बनाइए-

क – नगर पालिका थी तो कुछ न कुछ करती भी रहती थी।

ख –  किसी स्थानीय कलाकार को ही अवसर देने का निर्णय किया गया होगा।

ग –  यानी चश्मा तो था लेकिन संगमरमर का नहीं था 

घ – हालदार साहब अब  भी नहीं समझ पाए

अ –  2 साल तक हालदार साहब अपने काम के सिलसिले में उस कस्बे से गुजरते रहे। 

 

 उत्तर -निपात- वाक्य में ही, तो, और भी, को निपात कहा जाता है

क – नगर पालिका थी तो मूर्ति लगाने का कार्य  भी करती रहती थी

ख –  स्थानीय कलाकारों  को ही अवसर प्रदान किया जाता है।

ग – मूर्ति पर संगमरमर का चश्मा तो नहीं था लेकिन चश्मा था जरूर।

घ – हालदार साहब उस चौराहे से वहां से जाने तक, बार-बार जाते रहे