राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद

-तुलसीदास

प्रश्न 1.: परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए?

उत्तर: परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए निम्न तर्क दिए –

1. उन्होने कहा कि बचपन में उन्होने काफ़ी धनुष तोड़े है तो अब वह क्रोधित क्यों होते है।

2. वही धनुष पुराना था और जिनक्षीण था। पुराने धनुष के टूटने पर इतना क्रोधित क्यों हो रहे हैं, कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ।

3. वह धनुष छूते ही टूट गया था क्योंकि वह काफ़ी पुराना था।

प्रश्न 2.: परशुराम के क्रोध करने पर राम और लक्ष्मण की जो प्रतिक्रियाएँ हुई उनके आधार पर दोनों के स्वभाव की विशेषताएँ अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: लक्ष्मण व्यंग्य करने वाले है। उनकी तार्किक बद्धि है क्योंकि वह हर बात में तर्क करते है। वह चंचल हैं और बचपना उनके स्वभाव में है।

राम स्नेहशील, विनम्र, बुद्धिमान, शांत हैं और अवसर देखकर बात करते हैं।

राम ने परशुराम (के क्रूर स्वाभाव दिखाते हुए) कहा कि उनका नाम तो बड़ा है। जिसमें उनकी विनम्रता झलकती है।

प्रश्न 3.: लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ बताईं?

उत्तर: लक्ष्मण के अनुकूल जो योद्धा होता है वह मुँह से कुछ नहीं बोलता और बोलने में विश्वास नहीं रखते क्योंकि वह अपने वीरता को ही प्रमुखता देते है। वह (कर्म) करके दिखाने में विश्वास रखते है।

इन्हीं विशेषताओं का उल्लेख करते हुए वह कहते हैं कि परशुराम वीर योद्धा नहीं है।

प्रश्न 4.: साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है। इस कथन पर अपने विचार लिखिए।

उत्तर: साहस और शक्ति के साथ विनम्रता का गुण होना आवश्यक है। विनम्रता हमें समाज की व्यस्ततायें, धर्म का पालन करने के लिए और मधुर वातावरण बनाए रखने के लिए आवश्यक है। साहस से व्यक्ति का व्यक्तित्व उचित होता है।

राम के व्यक्तित्व में बहुत विनम्रता थी। अंतः में अवसर को देखते हुए उन्होंने लक्ष्मण को और बोलने से मना किया क्योंकि ज्यादा बोलना अनुचित होता जो की झगड़ा करवा सकती थी। इस तरह विनम्रता से उन्होने स्थिति को सम्भाल लिया।

प्रश्न 5.: पाठ के आधार पर तुलसी के भाषा सौंदर्य पर दस पंक्तियाँ लिखिए।

उत्तर:

1. तुलसीदास ने अपनी रचनाओं में अवधी भाषा का प्रयोग किया है।

2. राम-लक्ष्मण संवाद में कवि ने चैपाई और दोहे छंद का प्रयोग किया है।

3. कवि ने हर बात को तर्क से स्पष्ट किया है।

4. व्यंग्यात्मक शैली का सुंदर प्रयोग है।

5. कवि ने उपमा और रूपक अलंकारों का सुंदर प्रयोग किया है।

6. उदाहरण देकर बात को स्पष्ट किया है।

7. मुहावरों का भरपूर रूप से प्रयोग किया है।

8. बल सुलभ बातों को रोचक रूप से प्रस्तुत किया है।

9. कवि ने विभिन्न पर्यायवाची शब्दों के माध्यम से न सिर्फ शब्द-बोध बढ़ाया है बल्कि विभिन्न प्रसंगों को भी प्रस्तुत किया है।

10. कवि ने नीति वचनों को भी महत्वपूर्ण स्थान दिया है।

प्रश्न 6.: भाव स्पष्ट करो –

(1) बाल……………………………………………………………….महीपकुमारा।।

इन पंक्तियों में कवि ने परशुराम की विशेषताओं का उल्लेख किया है। परशुराम कहते हैं कि वह बाल ब्रह्मचारी है और क्षत्रियों के कुल का विनाश करने वाले है। वह कहते है कि पूरा विश्व जानता है (बिस्वबिदित कि वह बहुत क्रोधित है और क्षत्रियों के दुश्मन है (अरि, रिपु)।

मैने अपने शक्तिवध से दुश्मनों को मार डाला है। मैने शिव को कई ‘राजाओ’ को मार कर भेंट कर दिया। मैने सारी भुजाओं को काट दिया (सहसबाहु)। राजा के कुमार देखो मैं कितना शक्तिशाली हूँ। अपनी विशेषताओं का वर्णन किया है।

(2) विहसि लखनु…………………………………………………………..अभिमाना।।

परशुराम की बातों को सुनकर लक्ष्मण हंसे और मधुरवाणी में बोले कि तुम इतने बड़े योद्धा हो, इसका ज्ञान हमें नहीं था। वह कहते हैं कि तुम्हें घमंड है कि तुम महान भट (योद्धा) हो। इतने बड़े योद्धा होने के बावजूत बार-बार फरसा लिखा रहे हो। यह फरसा दिखाकर फंक से पहाड़ को उठाना चाहते है।यहाँ पर ऐसा कोई नहीं है जो आपकी बाते सुनकर डर जाए (भयभीत)। न तो यहाँ पर कोई छुई-मुई है जो कि आपके छूने से मर जाए।

वह कहते है कि धनुषबाण तुमने भी धारण किया है। पर मैने कोई अभिमान और घमंड से नहीं कहा। तुम्हारे जनेहूँ को देखकर मैं चुप हूँ। इस तरह लक्ष्मण और परशुराम के बीच बातें हुई और लक्ष्मण की तार्किक स्वभाव की भी यहाँ पहचान हुई।

(3) रे नृपबालक………………………………………………………….संसार।।

इस दोहे में परशुराम लक्ष्मण से कहते हैं, हे नृप के बालक! क्या तुम काल से नहीं डरते। सारा संसार जानता है कि यह धनुष अन्य धनुषों से अलग था क्योंकि यह शिव का धनुष था। क्या तुम सोच समझकर (सम्भाल कर) बोलना नहीं जानते। तुम इतने अज्ञानी कैसे हो सकते हो कि शिव के धनुष को नहीं पहचान पाए। इस तरह परशुराम धनुष टूटने पर लक्ष्मण पर क्रोधित हो गए और उन्हें सम्भल कर बोलने के लिए कहने लगे।

(4) मातु पिताहि……………………………………………………………….धोर।।

इस दोहे में परशुराम अपनी शक्ति का वर्णन कर रहें है। वह कहते है कि मेरे फरसे की गर्जना से गर्भस्थ शिशु भी मृत्यु को प्राप्त कर जाते है। इसलिए हे राजा के पुत्र! तुम अपने माता-पिता को शोक में डालने की कोशिश (चेष्टा) मत करो।

इस तरह वह बताते है कि उनकी फरसे की आवाज से गर्भ में बच्चा भी मृत्यु प्राप्त कर जाता है। इस तरह वह अपनी शक्ति का उल्लेख करते है।

(5) जो बिलोक……………………………………………………………..गंभीर।।

इस दोहे में परशुराम कहते है कि सज्जनों यदि मैं इस बालक को कुछ अनुचित कहता हूँ तो मुझे माफ करना (क्षमा)। बार-बार यह अपमान कर रहा है। मैं और अपने शब्दों पर गौर नहीं कर रहा। यदि मैं इसे मार डालूँ तो मुझे क्षमा करना क्योंकि मुझमें इतना धैर्य नहीं है कि जो यह कहे जा रहा है वह सुन पाऊँ।

इसमें परशुराम, लक्ष्मण पर क्रोधित हो जाते हैं और उन्हें कम बोलने के लिए कहते है।

(6) सूर समर…………………………………………………………….प्रतापु।।

इस दोहे में लक्ष्मण महान योद्धा की विशेषताओं का उल्लेख करते है। उनके अनुकूल जो महान योद्धा होता है वह कर्म पर विश्वास करते है और कर के दिखाते है और बोल कर अपनी शक्तियों के बारे में नहीं बताते क्योंकि वह करके ही लोगों को बता देते है कि वह बहुत शक्तिशाली है।

जिसे कार्य करना होता है वह करता है और शत्रु को मार कर वह योद्धा बन जाता है। लेकिन आप कायर है, चिल्ला कर अपनी शक्तियों का उल्लेख कर रहे है, बाते अधिक करते हैं और कार्य कम करते है।

अभिप्राय – लक्ष्मण ऐसा कहकर यह कहना चाहते थे कि वह (परशुराम) कायर है, महान योद्धा नहीं।

(7) गधिसून……………………………………………………………..अबूझा।।

इस दोहे में विश्वामित्र कहते है कि मुनि को क्या हो गया है, उन्हें सब हरा-हरा क्यों दिखाई दे रहा है। इन्हें गुड़ और झाड़ में अंतर क्यों नहीं दिखाई दे रहा। इन्हें राम की असलीयत की पहचान क्यों नहीं हो रही। क्यों नहीं पता चल रहा कि वह भगवान के द्वारा भेजा अवतार है। क्योंकि उन्होने अपनी आँखों पर पट्टी बांधी हुई है। क्यों वह सच्चाई को समझ नहीं पा रहे।

(8) लखन उतर…………………………………………………………..रघुकुल भानु।।

इस दोहे में कवि कहते है कि परशुराम का क्रोध अग्नि के समान है और लखन का बोलना आहुति के समान है। उसे बढ़ता देखकर राम (रघु के कुल) ने उस अग्नि को अपने शीतल वचन से खत्म कर दिया। राम ने जल के समान शीतल बचन बोलकर लक्ष्मण और परशुराम को शांत कर दिया।

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