उत्साह
-सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
बादल प्रकृति का अद्भूत सौंदर्य है जो सब जगह खुशी फैला देता। जब बादल छाते है तो मयूर नाचने लगते और मनमयूर भी नाचने लगते है। यह विभिन्न कार्यों से आवाहन कराते है।
कवि सूर्यकांत त्रिपाठी प्रार्थना करते है कि बादल गरजो और भयानक आवाज से गरजना करो। चारो ओर से गगन घेर लो और धराधर बरसो। इस प्रकार बरसों की धाराएँ गिरने लगे। बादलो के सुंदर-सुंदर घुंघराले बाल विभिन्न प्रकार के आकार बनाते है। बच्चे अपनी कलप्ना के आधार पर विभिन्न रूप और आकार बना लेते है और काल्पनिक आकार बना लेते है। कवियों को बादलों से नई कविताएँ लिखने की प्रेरणा प्राप्त होती है। नवीन सृजन (नई रचनाएँ, कविताएँ) करने की प्रेरणा मिलती है। आपके इस गरजना में क्रांति का हथियार छिपा है और अपने सौंदर्य से कवियों में नवीन कविताएँ लिखने की फिर उमंग भर दो।
कवि फिर प्रार्थना करते है कि बादलों गरजों। वह बादलों को गरजने की प्रर्थना इसलिए कर रहे हैं क्योंकि समस्त संसार गर्मी के कारण परेशान और उदास है। सम्पूर्ण संसार गर्मी के कारण तपा हुआ है (तपिश से भरा), जला हुआ है और सभी लोग इस गर्मी के कारण दुखी है। तुम किस दिशा से आओ, यह पता नहीं है और पूरी तरह से छा जाते है। इस तप्त धरती को अपने जल से प्यारा दूर कर दो और इस पृथ्वी को शीतल, शांत और तृप्त और (ठंडक) कर दो। कवि बादलों को फिर से गरजने की प्रार्थना करते है।
प्रश्न 1.: कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने’ के लिए कहता है, क्यों?
उत्तर: कवि ने बादलों से गरजने की प्रार्थना की क्योंकि बादलों के गरजने से माहौल परिवर्तित होता है, उनके बरसने की आशा होती है, सम्पूर्ण जगत जो गर्मी से तप रहा होता है, वह नई आशाओं के साथ उसे निहारता है।
बादल गरजते है तब बरसते है इसलिए एक प्रेरणा के रूप में कवि ने बादलों का आहृवान किया है।
प्रश्न 2.: कविता का शीर्षक उत्साह क्यों रखा गया है?
उत्तर: कविता का शीर्षक ‘उत्साह’ इसलिए रखा गया है क्योंकि बादलों से लोगो में उमंग, प्रेरणा, उल्लास भर देता है। यह प्रतीकात्मक है क्योंकि उत्साह बादलों से प्राप्त हो रहा है।
1. संक्षिप्तता – किसी भी शीर्षक का संक्षिप्त होना उसकी विशेषता है। यह शीर्षक एक शब्द का है, अतः संक्षिप्त है।
2. विषय वस्तु से सम्बंधित – किसी भी शीर्षक का विषय वस्तु से संबंध होना उसकी विशेषता होती है। यहाँ बादल सभी ओर उल्लास फैला देता है और प्रेरणा भी देता है। इस आधार पर यह शीर्षक उचित है।
3. जिज्ञासा – किसी भी शीर्षक में जिज्ञासा होना उसकी विशेषता होती है। इसे पढ़ कर जिज्ञासा मिलती है कि कवि यहाँ बादलों की बात क्यों कर रहा है। इस आधार पर यह शीर्षक जिज्ञासा पूर्ण है।
अतः यह शीर्षक उचित, सटीक, सुंदर, यथार्थ प्रतीकात्मक और जिज्ञासापूर्ण है।
प्रश्न 3.: कविता में बादल किन-किन अर्थो की ओर संकेत करता है।
उत्तर: इस कविता में बादल उत्साह, नव निर्माण की ओर संकेत करता है। इसके आने पर खुशी माहौल चारों ओर हो जाता है और सभी अभिभूत हो जाते इसके सौंदर्य से। इसलिए यह उमंग खुशी और आशावादी दृष्टि कोण की ओर भी संकेत करता है। इस तरह यह शब्द कई चीजें लाया है।
प्रश्न 4.: शब्दों का ऐसा प्रयोग जिससे कविता के किसी खास भाव या दृश्य में ध्वन्यात्मक प्रभाव पैदा हो, नाद सौंदर्य कहलाता है। उत्साह कविता में ऐसे कौन से शब्द है जिनमे नाद सौंदर्य मौजूद है, छाँटकार लिखिए।
उत्तर: जिन शब्दों से ध्वनि महसूस हो। ध्वानि का स्मरण हो, वे ध्वन्यात्मक शब्द कहलाते है। इन शब्दों से नाद सौंदर्य की अभिव्यक्ति होती है। कविता में कही ध्वन्यात्मक शब्दों का प्रयोग है जैसे – गरजों, घोर, धाराधर। इस तरह कविता में मार्मिक सौंदर्य बढ़ता है।
काव्य सौंदर्य-
1. कविता में अलंकारों को सुंदर प्रयोग है। जैसे कि
ललित ललित, विकल विकल, घेर घेर में पुनरूक्ति अलंकार का प्रयोग है।
‘बाल कल्पना के से पाल’ में उपमा अलंकार का प्रयोग है, से – वाचक पद, बाल कल्पना – उपमान, पाले-समान धर्म
‘आए अज्ञात दिशा से अनत के घन’ – में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग है – ‘अ’ वर्ण की आवृत्ति है।
2. कवि ने ध्वन्यात्मक शब्दों का सुंदर प्रयोग किया है।
3. बादलों का प्रतीकात्मक प्रयोग है क्योंकि वह उल्लास और उमंग से माहौल सुंदर बना देते है।
4. लयात्मक शैली का प्रयोग है।
5. यह कविता गेयात्मक है।
इस तरह कविता में मार्मिक सौंदर्य की अभिव्यक्ति हुई है।
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Nice
Okay