—–भक्त चार प्रकार के होते हैं ——–

१ आर्त  जो कष्टों से पीड़ित होने के कारण भगवान की शरण में आते हैं |

२ जिज्ञासु – जो जिज्ञासा के कारण भगवान की शरण में आते हैं |

३ अर्थार्थी — जो अर्थ {धन } की इच्छा से भक्ति करते हैं |

४ ज्ञानी — परमात्मा का ज्ञान होने पर कृतार्थ होकर भक्ति करता हैं |

१  ब्रह्म कों जानने की विद्या कों आध्यात्म कहते हैं |

२  जो अक्षर अर्थात अविनाशी तत्व है ,वही ब्रह्म है |जो ब्रह्म के सभी अंगों को जनता है वही ब्राह्मण है |

३  अभ्यास और वैराग्य से मन को वश में किया जा सकता है |

४  सभी योगों का ज्ञान प्राप्त करके ,जो परमात्मा के सर्व व्यापकत्व को जान लेता है ,वह पुरुषोत्तम है |

५ ज्ञान –जीवन के लिए जो आवश्यक ज्ञान ,ध्यान में रखा जाता है ,वही सच्चा ज्ञान है |

६  सभी प्राणी तीन मितियो में जीते हैं -लम्बाई ,चौड़ाई ,और गहराई |प्रत्येक मिति का आरम्भ और अंत होता है |
चौथी मिति है काल |जिसका कोई आदि -अंत नहीं होता ,वह अखंड है |

७ मानव शरीर नौ द्वारों वाला नगर है |इसमें आत्मा निवास करती है |इंद्रियों ,बुद्धि और मन को संयमित करके जो योगी आत्मा तक पहुँच जाता है वह
जीवन मुक्त हों जाता है |

८  मानव शरीर में बहत्तर सहस्र धमनियाँ होती हैं |

९ देवी गुण से युक्त व्यक्ति में छब्बीस दुर्लभ गुण होते हैं | तेजस्विता ,क्षमा ,शुचिमुर्तता धृति ,औदार्य ,तप सात्विक वृत्ति आदि मुख्य हैं |

१० जगत का अंतिम और अपरिवर्तनीय शाश्वत सत्य है प्रकाशमय अमर चैतन्य |

११ धर्म में जाति नहीं होती |जाति तो केवल सामाजिक रूड़ी है |

१२ साहित्य की भाषा जीवन की भाषा से शक्ति और जीवन की भाषा साहित्य की भाषा से समृद्धि पाती रहती है |

१३ ब्रिज भूमि में १८ गोकुल थे |

१४ राधा ,अनय गोप की पत्नी थी |

१५ काल की कठोर आवश्यकताएं महात्माओं को जन्म देती हैं |